The Train... beings death 35
देव से अंगूठी लेकर चिंकी ने अपनी उंगली में पहन ली और जैसे ही आयाम द्वार के दूसरी तरफ जाने के लिए अपना पैर बढ़ाया.. उसके पीछे से कुछ लोगों के चिल्लाने की आवाज आई और तभी देव ने कहा, "इन्हें पकड़कर रखो..!! हम चिंकी को विदा करके इन्हें देखते हैं।"
आवाज़ सुनकर चिंकी ने पीछे पलटकर देखा। बंदी बनाए हुए लोगों को देखकर चिंकी के कदम वहीँ के वहीँ रुक गए।
देव ने जब चिंकी को रुका हुआ देखा तो देव ने चिंकी से पूछा, "क्या हुआ?? आप ऐसे रुक क्यों गई??"
चिंकी ने उन लोगों की तरफ इशारा किया। चिंकी के इशारा करते ही देव ने उन सारे बंदी बनाए लोगों को अपने पास लाने का इशारा किया। देव का इशारा पाते ही वहां की सेना ने सारे बंदी बनाए लोगों को उनके सामने लाकर खड़ा कर दिया और देव से कहा, "देव यह सभी लोग यहां पर घुसपैठ करने के इरादे से आए हैं। हमनें इन पर काफी देर से नजर रखी हुई थी। यह सभी लोग यहां पर छुपते छुपाते हुए हमारे यहां की सारी जानकारियां इकट्ठा कर रहे हैं। हमने जब इन्हें पकड़ लिया तो उल्टा यह हमारे ऊपर ही आरोप लगा रहे हैं।"
देव ने एक नजर उन सभी की तरफ डालकर देखा और जैसे ही उन सभी को कोई कठोर दंड देने की घोषणा करने वाले थे कि चिंकी ने कहा, "देव जी..! यह सभी हमारे साथी हैं। आपको तो पता ही है कि यह ट्रेन तीन जगह रूकती है। हमने सभी लोगों को तीन टुकड़ियों में भेजकर अलग-अलग जगह की जानकारी निकालने के बारे में कहा था। हम तो यहां गलती से उतरे हैं। वरना हर स्टेशन की जानकारी यही लोग निकालने वाले थे।"
देव को चिंकी की बात समझ में आ गई थी इसीलिए देव ने उन सभी लोगों को छोड़ने के लिए कहा। फिर चिंकी की तरफ देखते हुए कहा, "चिंकी..! आपको आप जल्दी निकलना होगा। यह द्वार किसी भी क्षण बंद हो सकता है। अगर देर हुई तो हम दोबारा आयाम द्वार नहीं बना पाएंगे।"
चिंकी ने देव की बात मान ली और तुरंत ही बाकी सभी आत्माओं के साथ आयाम द्वार के दूसरी तरफ चली गई। सभी के दूसरी तरफ जाते ही आयाम द्वार बंद हो गया।
दूसरी तरफ जाकर चिंकी ने सभी से पूछा, "आप लोगों को वहां से क्या पता चला??"
सभी आत्माओं ने अपनी गर्दन नीचे झुका ली और फिर धीरे से कहा, "कुछ भी नहीं..! हम वहां पर सब कुछ पता लगाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन हमारे पता लगाने से पहले ही हमें पकड़ लिया था।"
चिंकी ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं! जितना हमें पता चलना चाहिए था उससे ज्यादा ही पता चल गया है।" फिर अपने आसपास के वातावरण पर नजर घुमाते हुए कहा, "यहां पर भी कुछ लोग उतरें होंगे। हमें सबसे पहले उन्हें ढूंढना है और यहां के बारे में पता करना है। उसके बाद ही हम सोचेंगे कि आगे क्या किया जाएगा?"
चिंकी की बात सुनते ही सभी आत्माओं ने हां में अपना सर हिलाया और यहां वहां फैल गई और चिंकी वही खड़ी उस जगह को गौर से देखने लगी।
चारों तरफ अंधेरा ही दिखाई दे रहा था.. पर ऐसा अंधेरा जिसमें अंधेरा कहलाने जैसा कुछ भी नहीं था। वह एक धुंधला सा.. कोहरे भरा माहौल था.. जिसमें दिखाई तो देता था.. पर इतना कम... मानो आसपास किसी ने बहुत ही बड़ी जगह में आग जलाकर पानी उबालने रख दिया हो। पानी की भाप.. लकड़ियां जलने का धुआं.. सब कुछ मिलाजुला था या फिर कह लो कि वो एक जाड़े की कोहरे भरी सुबह जैसा था।
चिंकी ने एक नजर चारों तरफ घुमाते हुए कहा, "तो यह है तप्तांचल..!! जिसके बारे में देव ने बताया था। लेकिन पिछली बार जब मैंने इस जगह को ट्रेन से देखा था तब तो यह कुछ अलग थी। कुछ तो ऐसा है यहां जो उस टाइम नहीं था या फिर अब नहीं है।"
चिंकी इस जगह के बारे में सोच ही रही थी कि ट्रेन की सारी आत्माओं ने वहां पर इकट्ठा होकर चिंकी को चारों तरफ से घेर लिया था और चुपचाप खड़ी चिंकी के ध्यान टूटने का इंतजार कर रही थी। थोड़ी ही देर में चिंकी को ध्यान आया तो चिंकी ने सभी आत्माओं को अपने आसपास देखा और चौंककर पूछा, "आप सभी यहां?? आप लोग तो यहाँ की जानकारी निकालने गई थी फिर वापस लौट कैसे आई? कुछ हुआ क्या??"
सभी आत्माएं थोड़ी सी घबराई हुई लग रही थी। चिंकी के सवाल पर सभी ने एक दूसरे की तरफ देखा जैसे कह रही हो कि तू बता और तू बता। चिंकी ने थोड़ा तेज स्वर में पूछा, "आप लोग बता क्यों नहीं रहे? और इस टाइम यहां पर ऐसे इकट्ठा क्यों हो? आप लोगों को तो यहां के बारे में सारी जानकारी निकालने के लिए कहा था ना!!"
तभी एक आत्मा ने थोड़ा डरते हुए कहा, "हां..! तुमने हमें यहां की जानकारी निकालने के बारे में कहा था। हम भी वही काम कर रहे थे। जितना हमें पता चला है वह सब कुछ हम आपको ट्रेन में बता देंगे। यहां ज्यादा देर रुकना किसी के लिए भी सेफ नहीं होगा। वैसे भी थोड़ी ही देर में ट्रेन आने वाली है। हमें बस तब तक के लिए अपने आप को सुरक्षित रखना है।"
चिंकी को उन सभी की बात का मतलब समझ में नहीं आया था। चिंकी ने कन्फ्यूजन से सबकी तरफ देखते हुए पूछा, "थोड़ी देर और अपने आप को सुरक्षित रखना है..! इसका क्या मतलब हुआ??"
फिर से सभी आत्माएं एक दूसरे की शक्लें देखने लगी थी। चिंकी भी बारी बारी से सभी के चेहरे देख रही थी। सभी के चेहरों पर थोड़ा डर और घबराहट दिखाई दे रही थी। तभी दूर से वही धूएं वाले अजीब जीव उनकी तरफ चल कर आते हुए दिखाई दिए। उन्हें वहां देखते ही सारी आत्माएं डर के कारण यहां वहां छुपने की जगह ढूंढने लगी थी। उन्हें ऐसे डरता देख चिंकी ने पूछा, "क्या हुआ? आप लोग ऐसे क्यों डर रहे हो??"
तभी एक आत्मा ने चिंकी का हाथ पकड़कर खींचते हुए कहा, "अभी के लिए हमें यहां से चलना होगा। नहीं तो हम कभी भी वापस नहीं लौट पाएंगे।"
चिंकी ने नासमझी से सभी की तरफ देखते हुए पूछा, "हो क्या गया है आप सभी को?? आप ऐसी बातें कर क्यों कर रहे हैं??"
चिंकी के सवाल पर जो आत्मा अभी चिंकी को पकड़कर खींचते हुए ले जा रही थी.. उसने कहा, "हमारे साथ आई हुई दो आत्माओं को इन जानवरों ने खा लिया है!!"
यह बात सुनते ही चिंकी ने हैरानी से सभी आत्माओं की तरफ देखा तो सभी ने अपनी गर्दन हां में हिला दी। चिंकी को अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता था?? वो जीव आत्माओं को भी खा सकते थे??
तभी एक आत्मा ने कहा, "हम जानते हैं कि तुम सोच रही होगी कि वह आत्मा को कैसे खा सकते हैं?"
चिंकी ने अपनी गर्दन हां में हिलाते हुए कहा, "हां..! मैं यही सोच रही थी। पिछली बार जब यह लोग ट्रेन में चढ़े थे तब उन्होंने किसी भी आत्मा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था।"
इस पर उन आत्माओं में से एक सबसे बूढी आत्मा ने कहा, "वह इसलिए कि उस समय यह सभी लोग पृथ्वी पर जा रहे थे। जहां से इन्हें खाने के लिए शरीर मिल जाते थे। यहां पर आने के बाद हम भी वायु रूप में नहीं रहे हैं। हमें भी एक अस्थाई शरीर मिल गया है। शायद यह इसी आयाम का प्रभाव है इसीलिए वह हम लोगों को खा चुके हैं। अगर हम ज्यादा देर यहां रहे तो बाकी लोगों को भी यह खा जाएंगे और हमारा मुक्ति पाने का सपना.. सपना ही बनकर रह जाएगा।"
चिंकी को भी लगा कि वह सभी ठीक बोल रहे थे। चिंकी ने भी घबराकर उन जानवरों की तरफ देखा जो धीरे-धीरे उनके पास आते जा रहे थे। तभी चिंकी ने पूछा, "यह लोग तो धुएँ से बने है फिर यह इतना धीरे कैसे चल रहे हैं?? इन्हें तो कब का हमारे पास पहुंच जाना चाहिए था??"
तभी एक दूसरी बूढ़ी आत्मा बोली, "पहुंच सकते थे.. लेकिन हम लोगों के आने के बाद यहां के वातावरण में भी काफी परिवर्तन हुए हैं। जिसका असर इन लोगों पर भी दिख रहा है। यह लोग इतना तेजी से नहीं चल पा रहे जितना तेजी से यह लोग पहले आते जाते थे।"
वह जानवर धीरे धीरे करके चिंकी और बाकी आत्माओं के बहुत ज्यादा पास पहुंच गए थे। इतने पास कि दो-चार मिनट बाद ही सभी आत्माएं और चिंकी उनके कब्जे में होती। सभी लोग यहां वहां बचने की जगहें ढूंढ रहे थे.. कि तभी उन्हें ट्रेन के आने का आभास हुआ।
सभी के चेहरों पर खुशी साफ-साफ नजर आने लगी थी। एक बात तो साफ हो गई थी कि अब उन लोगों को उन जीवों से डरने की कोई जरूरत नहीं थी। ट्रेन के आते ही सभी ट्रेन में चढ़ जाते और इन जीवों से बच जाते। पर जैसा हम सोचते हैं वैसा होना हमेशा ही जरूरी नहीं होता।
ट्रेन पास में दिखने लगी थी लेकिन ट्रेन के पहुंचने से पहले वो जानवर चिंकी और सभी आत्माओं के बहुत ही ज्यादा पास पहुंच गए थे। सभी के चेहरे पर डर साफ साफ नजर आ रहा था। साथ ही साथ उन लोगों की मजबूरी भी थी कि वह सभी उस जगह को नहीं छोड़ सकते थे। छोड़ देते तो उनका वापस ट्रेन में चढ़कर मुक्ति पाने का सपना.. सपना बनकर ही रह जाता।
ट्रेन धीरे-धीरे नजदीक आ गई थी और धीरे-धीरे वो जानवर भी नजदीक आ गया था। तभी ट्रेन के रुकने की आवाज से सभी का ध्यान वापस ट्रेन की तरफ गया। ट्रेन के रुकते ही चिंकी ने सभी से कहा, "जल्दी से सभी ट्रेन में चढ़ जाओ!! जितनी देर होगी हम लोगों के ऊपर संकट उतना ही गहरा हो जाएगा।"
सभी आत्माओं ने सबसे पहले चिंकी को ट्रेन में चढ़ाया और फिर एक-एक करके खुद चढ़ने लगी। सबसे लास्ट वाली आत्मा जैसे ही ट्रेन में चढ़ने वाली थी वैसे ही उस जीव ने अपनी जीभ से उस एक आखिरी बची आत्मा को कसकर पकड़ लिया था और उस आत्मा को ट्रेन में चढ़ने से रोकने के साथ-साथ खाने का भी प्रयास कर रहा था। तभी ट्रेन धीरे धीरे चलने लगी। सभी आत्माएं उस आखिरी आत्मा को ट्रेन में चढ़ने के लिए बोल रही थी। वह आत्मा भी ट्रेन में चढ़ना चाहती थी लेकिन चढ़ नहीं पा रही थी।
तभी सभी आत्माओं से चिंकी ने कहा, "आप सभी मिलकर इन्हें ऊपर खींचने की कोशिश करो। अगर यह ऊपर आ जाते हैं तो बहुत अच्छी बात है। नहीं तो उस जीव के साथ ही इन्हें ट्रेन में खींच लो। इस जानवर का क्या करेंगे?? वह मैं सोचती हूं! तब तक आप इसे ऊपर खींचने की कोशिश करो।"
चिंकी की बात सुनते ही सभी आत्माओं ने अपना पूरा जोर लगा दिया जिससे उस आखिरी आत्मा को ट्रेन में खींच सकें। ट्रेन की रफ्तार भी धीरे-धीरे बढ़ रही थी। अगले कुछ ही पल उस आत्मा को वापस ट्रेन में खींचने की कोशिश में लगे थे। सभी आत्माओं ने अपनी पूरी हिम्मत लगाकर उस आखरी बची आत्मा को ट्रेन में खींच लिया पर उस आत्मा के साथ-साथ वह अजीब जीव भी ट्रेन में चढ़ गया था।
अचानक ऐसे ट्रेन में चढ़ने के कारण वह कुछ देर के लिए घबराया हुआ दिख रहा था। तभी चिंकी चलती हुई उस जीव के पास आई और बोली, "यह चाकू और चेन लो..!! हम सभी मिलकर इसे बांधने की कोशिश करते हैं। अगर कुछ देर के लिए भी इसे बांध दिया तो इससे छुटकारा पाने का रास्ता मिल जाएगा।"
सभी को चिंकी की बात सही लगी इसलिए सभी आत्माओं ने चिंकी के साथ मिलकर उस जीव को चाकू और लोहे की चीन की सहायता से बांध दिया। चेन में बंधते ही वह जीव बिल्कुल शांत हो गया था। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि वह इतना डरावना रहा होगा.. जिसकी वजह से सभी को अपने प्राणों का डर लगने लगा था।
उस जानवर के शांत पड़ते ही सभी आत्माएं और चिंकी उसी के आसपास घेरा बनाकर बैठ गए थे। सभी बहुत ज्यादा आश्चर्य में लग रहे थे। अचानक ऐसे उस जीव का शांत बैठना सभी के लिए आश्चर्य का विषय था। जिस जानवर को बस में करने की हिम्मत ही नहीं थी वह जानवर ऐसे शांत बैठा था जैसे पालतू था। कुछ देर तक उस जानवर को शांत बैठे देख कर चिंकी ने सभी आत्माओं को वहां से चलने का इशारा किया।
सारी आत्माएं एक-एक करके उठकर चिंकी के पीछे पीछे चल दी थी। चिंकी भी उन सभी को लेकर दो कंपार्टमेंट आगे चली गई थी ताकि उनकी बातें उस जानवर तक ना पहुंचे। वहां पहुंचकर चिंकी ने पूछा, "आप लोगों ने वहां क्या पता किया था??"
उन सभी आत्माओं ने एक दूसरे की तरफ देखते हुए कहा, "यह लोग इतने ज्यादा समझदार नहीं है कि कहीं पर भी आने जाने के लिए आयाम द्वार का प्रयोग कर सकें।"
आयाम द्वार का नाम आते ही चिंकी ने आश्चर्य से पूछा, "आप लोग भी आयाम द्वार के बारे में जानते हैं??"
सभी ने हां में अपना सर हिलाते हुए कहा, "हां..! हमें भी कुछ समय पहले ही पता चला है। आयाम द्वार एक ऐसा द्वार होता है जिससे किसी भी दूसरे आयाम पर जाया जा सकता है। वो कैसे और क्यों बनता है वह तो नहीं पता.. लेकिन जो आत्माएं आपके साथ आपके वाले स्टेशन पर उतरी थी उन्हीं ने हमें बताया था और यह भी उन्हीं से पता चला था कि ऐसे दरवाजे को आयाम द्वार कहते हैं। यहां पर आने पर एक बात और पता चली।"
चिंकी ने जल्दी से पूछा, "कौन सी बात??"
"यही कि यह जीव देखने में भले ही बहुत ज्यादा समझदार और तेज दिखते हो लेकिन इनके पास बुद्धि नाम की चीज नहीं है। इनके पास केवल शारीरिक बल है जिसकी वजह से यह अभी तक बचते आए हैं।"
इसके अलावा और भी बहुत सारी छोटी मोटी बातें आत्माओं ने चिंकी को बताई थी। चिंकी ने भी उन सारी जानकारियों को अच्छे से अपने दिमाग में बिठा लिया था ताकि ट्रेन का आना जाना बंद करवाने में उनका किस तरह से प्रयोग करना था यह समझ सके??
बातों ही बातों में तीसरा स्टेशन भी आ गया था। जैसे ही वहां ट्रेन रुकी वहां पर उतरने वाली सारी आत्माएं घबराई हुई सी जल्दबाजी में ट्रेन में चढ़ गई। ट्रेन में चढ़ते ही ट्रेन तुरंत चल पड़ी। ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी भी स्टेशन पर यह ट्रेन इतना कम देर रुकी थी।
उन सभी ने चिंकी और बाकी आत्माओं को ठीक-ठाक देखा तो एक राहत की सांस ली और वही सीटों पर फैल कर लेट गए। ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने कोई भारी काम किया था.. जिसकी थकान उन लोगों को इतनी ज्यादा हो गई थी कि ज्यादा देर बैठे रहने की क्षमता ही नहीं थी।
सभी आत्माओं ने आश्चर्य से उनकी तरफ देखते हुए पूछा, "क्या हुआ?? आप सभी ऐसे यहां पर कैसे फैल गए?"
तभी एक आत्मा ने कहा, "हम बच गए वही बहुत बड़ी बात है। वरना तो आज वहां से बचकर आना बहुत ही मुश्किल था।"
यह सुनते ही चिंकी और सभी हैरान रह गए थे। तभी चिंकी ने पूछा, "आज यह ट्रेन इतनी जल्दी कैसे चल दी??"
उनमें से ही एक आत्मा ने कहा, "हम में से एक ट्रेन के इंजन में चल गई थी। हमने ही उससे ऐसा करने के लिए कहा था ताकि वह ड्राइवर से रिक्वेस्ट कर सके कि ट्रेन तुरंत ही आगे बढ़ा दे।"
"लेकिन ऐसा क्यों??" चिंकी ने पूछा।
"क्योंकि हम जहां से लौटकर आ रहे हैं वह जगह मौत के कुएं से भी बदतर है।" एक आत्मा ने कहा।
बाकी सभी आत्माएं जो पहले से ट्रेन में थी वह सभी गोलमोल बातों से थोड़ा परेशान हो गई थी इसीलिए एक ने झल्लाते हुए पूछा, "तुम में से कोई भी सीधी बात बोल सकता है.. तो बोलो!! नहीं तो चुपचाप पड़े रहो!!"
यह सुनते ही वह आत्मा बोली, "हम जिस जगह उतरे थे.. वह मौत की घाटी है!! जहां जिंदा आदमियों से ज्यादा खतरा मरे हुए लोगों और है!!"
इतना बोलकर उन सभी आत्माओं ने चिंकी को वहाँ जो भी घटना घटी थी सबके बारे में बता दिया। उसे सुनकर तो चिंकी ने भी अपना सर पकड़ लिया था।
Gunjan Kamal
29-Mar-2022 05:09 PM
शानदार भाग
Reply
Aalhadini
29-Mar-2022 11:42 PM
धन्यवाद 🙏🏼
Reply
Sandhya Prakash
29-Mar-2022 03:56 PM
👍👍👍👍👍👍👍इंटरेस्टिंग
Reply
Aalhadini
29-Mar-2022 11:42 PM
Thanks 😊 🙏
Reply